बेवजह blog

To experiment with words . . . to paint the canvas with audible colours.

February 9, 2017

निदा फ़ाज़ली साहब को याद करते हुए

  निदा फ़ाज़ली साहब को याद करते हुए, एक लेख जो आज ही के दिन पिछले साल(2016) उनकी वफ़ात पर मुझ से सुधांशु फ़िरदौस ने लिखवाया […]
January 29, 2017

बच्चों के लिए एक ज़रूरी किताब

बाल कहानियों से आप क्या चाहतें हैं ? बच्चों की कल्पना की उड़ान, जीवन व नैतिकता की ज़रूरी बातें और खूब सारी मस्ती… पर बच्चे बस […]
December 29, 2016

मिल जाए काश ऐसा बशर ढूंढते हैं हम

  अभिषेक की कॉल आई थी कि बहुत वक़्त हो गया है,  दद्दा से मिल आते हैं. उनके पाँव में हल्की सूजन भी रहती है तो अपने जानने वाले […]
December 26, 2016

हर नक़्श-ए-पा बुलंद है दीवार की तरह

  मेरे दोस्त, मेरे हमदम, मेरे मोहसिन, मेरे करमफ़रमा, अभिषेक शुक्ला का एक मज़मून इन दिनों इन्टरनेट पर धूम मचा रहा है. ये मज़मून उन्होंने उस्ताद […]
December 23, 2016

Not To Have a Plan

  I’ve found myself falling in love with unfamiliarity too often. I hate routine. I crave for new beginnings every once in a while. The comfort […]