September 27, 2018Review: Mahesh Dattani’s 30 Days in September How do you describe a play (and its stage performance) that affects you so deeply that when you go to bed on the night on […]
July 31, 2018आनंद प्रहलाद की मौत समाज की संवेदना पर कोड़ा है!आनंद प्रहलाद नहीं रहे. आनंद लखनऊ के रंगकर्म का चेहरा नहीं थे लेकिन वो लखनऊ के रंगकर्मीय संघर्ष का चेहरा निश्चित तौर पर थे. आनंद की […]
February 27, 2017Manjari, From Lucknow to London “Love art in yourself, and not yourself in art.” – Konstantin Stanislavski I remember having had a terrible day a few months back. I’m […]
September 8, 2016अभिनेता और उसकी हैटइस ज़िदगी के मंच में मैं अभिनेता ठीक-ठाक हूँ, बस जिस किरदार में हूँ उसमें मेरे सिर पर एक हैट है और मेरी हैट मेरे सिर […]